भवानी प्रसाद मिश्र जन्म सन 1913 टिकरिया गांव जिला होशंगाबाद मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पितामह बुंदेलखंड के हमीर नामक कस्बे से मध्य प्रदेश में आए थे। उनकी जीवका मंदिर में पूजा करके चलती थी। उनके पांच बेटे, बेटी एक भी नहीं थी, कवि के पिता सीताराम जी सबसे छोटे भाई थे और उनके दो भाइयों में अंग्रेजी शिक्षा पाई बाकी के तीनों भाइयों को पितामह ने संस्कृत का ही अभ्यास कराया।
बचपन में भवानी प्रसाद ने अंग्रेजी स्कूल में प्रवेश लिया क्रमशः सोहागपुर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर और जबलपुर में अध्ययन किया। सन् 1934 में बी.ए. पास कर लिया।
भवानी प्रसाद को हरे-भरे खुले मैदान जंगल में पहाड़ झरने और नदी इन्हीं सब से बहुत प्यार था। उन दिनों खेलों में गुल्ली डंडा में भवानी प्रसाद को बहुत दिलचस्पी थी।
भवानी प्रसाद मिश्र की राजनीति क्षेत्र में दिलचस्पी बढ़ी परंतु राजनीति के क्षेत्र में अंग्रेज सरकार से लडा़ई के दिनों तक रहा स्वतंत्रता पाने की हद तक मेरी विवशता थी। उसके बाद राजनीतिज्ञो पर निगाह जरूर रखता था उनके काम मुझे तकलीफ देते रहे उन्हें गलत कामों में विरत भी नहीं कर पाया अनेक राजनीतिक मित्र गलत राजनीति के खिलाफ लड़ते रहे, मै उसमें भी नहीं पड़ा लेकिन लिखने के माध्यम से जो कर सकता था वही किया ।
मैंने माना कविता लिखना और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से लड़ते रहना साथ साथ नहीं चल सकता राजनीति के क्षेत्र की गांधी की राजनीति की तरह त्याग और साफ-सुथरे पन का क्षेत्र होता तो कविता भी वहां भी निखर कर सकती थी किंतु जब भारत की राजनीति संसार की तरह बनी रही तो मैं उसे अपना क्षेत्र कैसे मानता।
भवानी प्रसाद साथ में एक स्कूल चालू किया लेकिन 1942 के आंदोलन में गिरफ्तार हो गए 1945 में छोड़े गए उसी वर्ष महिला आश्रम वर्धा में शिक्षक के रूप में गए और काफी समय वर्धा में बिताए उन दिनों का आंदोलन का सिलसिला जारी था कवि लिखते हैं कि मेरा जीवन बहुत खुला खुला बीता है किसी बात की तंगी मैंने महसूस नहीं की एक छोटा सा स्कूल चला कर आजीविका प्रारंभ की और जब वही स्कूल सरकार ने छीन लिया ।
भवानी प्रसाद मिश्र की मृत्यु 20 फरवरी सन् 1985 को हुई थी।
Saturday, January 12, 2019
भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय Introduction of life of Bhavani Prasad Mishra
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