संसार का सर्वप्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका में लागू हुआ था।
पंद्रहवीं शताब्दी के अंत में कोलंबस ने अमेरिका का पता लगाया। अमेरिका मे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन साम्राज्य की नींव जेम्स प्रथम के शासनकाल में डाली गई थी।अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन कह जाते थे। अमेरिका में तेरह अंग्रेज बस्तियां (उपनिवेश) थीं।
ब्रिटिश सरकार के शोषण का विरोध करने के लिए उपनिवेशवासियों ने स्वाधीनता के पुत्र, स्वाधीनता के पुत्रियां आदि संस्थाएं स्थापित की।
16 दिसंबर सन् 1773 ई. को ईस्ट इंडिया कंपनी के चाय से लदे जहाज से चाय की पेटियों को समुद्र में फेंक दिया गया था। इस घटना को बोस्टन टी पार्टी के नाम से जाना जाता है ।
4 जुलाई सन् 1776 को फिलाडेल्फिया में उपनिवेशवासियो को की बैठक में स्वतंत्रता की घोषणा स्वीकार कर ली गई।
आज भी 4 जुलाई को अमेरिका अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है।
इसके द्वारा 13 संयुक्त उपनिवेशों को स्वाधीन और स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया।
Aryavatvarta
Friday, February 1, 2019
संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका
Thursday, January 31, 2019
द्वारका ,Dwarka
देवभूमि द्वारका गुजरात का एक जिला है। जिसमें द्वारका हिंदू तीर्थ स्थल सर्वाधिक पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है और चार धामों की यात्रा में से एक है। द्वारका भारत के पश्चिम में समुद्र के किनारे पर बसी हुई है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने उसे बताया था। यह श्री कृष्ण भगवान की कर्मभूमि है।
द्वारका भारत में भारत के साथ सबसे प्राचीन शहरों में से एक है पुराणों में वर्णित द्वारका के रहस्य का पता लगाने का प्रयास किया गया। लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित कोई भी अध्ययन कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया। 2005 में द्वारका के रहस्यों से पर्दा उठाने का काम शुरू किया गया था।खोज अभियान में नौसेना ने मदद की। अभियान के दौरान समुद्र की गहराई में कई पत्थर मिले।लेकिन ज्ञात नही हो पाया कि यह वही नगरी है अथवा जिसे भगवान श्री कृष्ण ने बसाया था आज भी यहां वैज्ञानिक समुद्र की गहराई में कैद इस रहस्य को सुलझाने में लगे हुए हैं। कृष्ण मथुरा में उत्पन्न हुए थे, पर उन्होंने द्वारका में राज किया यहीं बैठकर उन्होंने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में ली थी।पांडवों के साथ रहे। धर्म की जीत कराई और शिशुपाल और दुर्योधन जैसे अधर्मी को मिटाया। द्वारका उस समय में राजधानी बन गई थी। बड़े बड़े राजा यहां कोई भी मामले श्री कृष्ण जी सलाह के बिना नही लेते थे। इस जगह का धार्मिक महत्व है।
लोग कहते हैं कृष्ण की मृत्यु के साथ उनकी बसाई हुई नगरी समुद्र में डूब गई थी।
Tuesday, January 29, 2019
Gursaiganj गुरसहायगंज
गुरसहायगंज उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में स्थित है गुरसहायगंज नगर पालिका है जो कि तंबाकू व्यवसाय से जुड़ा हुआ है यहां के पुरुष और महिलाएं को तंबाकू से रोजगार मिलता है। गुरसहायगंज लगभग 3 किलोमीटर जैसे क्षेत्र में फैला हुआ है गुरसहायगंज के आसपास के क्षेत्र कृषि व्यवसाय से भी जुडा़ हुआ है गुरसहायगंज ग्रांट ट्रक रोड(GT Road) से जुड़ा हुआ है। रेलवे लाइन से भी जुड़ा हुआ है।
अहमदाबाद वन मॉल,Ahemdabad one mall, अल्फा मॉल शॉपिंग सेंटर
अहमदाबाद वन मॉल अहमदाबाद के वस्त्रापुर क्षेत्र के किनारे पर स्थित है यह 2011 में बनकर तैयार हुआ था इसके दो वेस्मेटं में पार्किंग है। अहमदाबाद मॉल में लगभग 500 ब्रांड है और पार्टी फ्लोर, प्ले जोन, मूवी इंटरटेनमेंट, आदि है। यहां पर पंजाबी, गुजराती,राज्यस्थानी आदि हर एक प्रकार की खाने की थाली मिलती है यहां पर लगभग 1000 गाड़ियों की पार्किंग की शुविधा है, अहमदाबाद मॉल के 8 गेट हैं। यहां पर हयात होटल भी है, यह अहमदाबाद का सबसे बडा होटल है। यहां शोप्पर्स स्टाप, लाइफ़स्टाइल, ट्रेंड्स, बिग बाजार, पैंटालूंस, मैक्स, रिलायंस डिजिटल, प्ले जोन आदि है।
यहां पर आने वाले कस्टमर 15 से 45 मिनट प्रति कस्टमर समय निकालते हैं।
वर्ल्ड ट्रैक पार्क World track park, भारत का सबसे बड़ा मॉल
अगर भारत के सबसे बड़े शॉपिंग सेंटर मॉल की बात करें तो चेन्नई या दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े-बड़े शहरों में इतना बड़ा मॉल नहीं है जबकि राजस्थान के जयपुर में स्थित वर्ल्ड ट्रेड मॉल है। जो भारत का सबसे बड़ा सोपिगं मॉल है।
वर्ल्ड ट्रेड पार्क राजस्थान के जयपुर में वर्ल्ड ट्रेड पार्क वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नाम से जाना जाता है।
भारत का सबसे बड़ा मॉल है यह लगभग 2लाख 40हजार स्क्वायर फुट में फैला हुआ है। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की पार्किंग में 11 सौ गाड़ियों की पार्किंग है।
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में 11 फ्लोर हैं यह 2012 में बनकर तैयार हुआ था। वर्ल्ड ट्रेड पार्क जयपुर शहर का सबसे बड़ा आकर्षण केंद्र है।
शॉपिंग की बात करें तो यहां पर बहुत सी विदेशी आउटलेट, फन जोन, प्ले जोन और मूवीज इंटरटेनमेंट आदि है।
नेपोलियन का जन्म, Born of napoleon
नेपोलियन का जन्म 1769 ईस्वी में कोरिया देश में हुआ था। नेपोलियन के पिता का नाम कार्लो बोनापार्ट था। जो पेशे से वकील थे। ने भोले ने ब्रिटेन की सैन्य अकादमी में शिक्षा प्राप्त की। सन् 1799ई. में नेपोलियन ने फ्रांस मे डायरेक्टरी के शासन का अंत कर दिया था तथा खुद पहला काउंसिल बना।इस काउंसलिंग ने फ्रांस के नए संविधान की रचना की।
सन् 1804ई.मे नेपोलियन खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। नेपोलियन बोनापार्ट एक अन्य नाम लिटिल कॉरपोरल के नाम से जाना जाता है।
नेपोलियन को आधुनिक फ्रांस का निर्माता माना जाता है ।
सन्1830 ई.नेपोलियन ने बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना की।
नेपोलियन ने कानूनों का संग्रह तैयार करवाया जिसे नेपोलियन कहा जाता है।
नेपोलियन ने इंग्लैड को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए महाद्वीपीय व्यवस्था लागू की।
अक्टूबर 1805 में इंग्लैंड के बीच ट्रागल्फर का युद्ध हुआ।
यूरोप राष्ट्र ने एकजुट होकर सन्1813ई.लिपजिक के मैदान में नेपोलियन को हराया।
इसके बाद नेपोलियन के बंदी बनाकर अल्बा द्वीप मे रखा गया,पर वहां से नेपोलियन भाग गया।
सन् 1815ई.मे वाटरलू का युद्ध नेपोलियन के जीवन का अंतिम था जिसमें उसे पराजय मिली। और उसे आत्मसमर्पण करना पड़ा। और उसे सेंट हेलेना दीप भेज दिया गया।
जहां सन्1812 ई.उसकी मृत्यु हो गई।
यूरोप में राष्ट्रीय राज्यों के निर्माण का श्रेय नेपोलियन को है।
नेपोलियन ने फ्रांस की क्रांति के सिद्धांतों को अन्य देशों में पहुंचाया तथा जनसाधारण में स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न की।
Monday, January 28, 2019
जर्मनी का एकीकरण , jarmani ka akikaran,Germany integration
19वीं सदी में जर्मनी अनेक छोटे छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। जिसमें सबसे शक्तिशाली राज्य प्रशा था ।
जर्मनी के एकीकरण का श्रेय बिस्मार्क को है। बिस्मार्क प्रशा शासक विलियम प्रथम प्रधानमंत्री थे।
जर्मनी में राष्ट्रीयता की भावना जगाने का श्रेय नेपोलियन को है नेपोलियन ने छोटे-छोटे राज्यों को मिलाकर 39 राज्यों का एक संघ बनाया था, जिसका नाम राइन संघ के नाम से जाना जाता था।
सन् 1832 ईस्वी में प्रशा के जर्मनी के 12 राज्यों को सहयोग के आधार पर एक चुंगी-संबंधी समझौते को करके जालवरीन नामक आर्थिक संगठन का निर्माण किया।
बिस्मार्क जर्मनी का एकीकरण प्रशा के नेतृत्व में चाहता था। जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क का अॉस्ट्रीया एवं फ्रांस से युद्ध करना निश्चित हो गया था।
सन् 1832ईसवी से सन्1850 तक जर्मनी पर अॉस्ट्रिया का आधिपत्य था।
एकीकरण के क्रम में प्रशा को डेनमार्क, ऑस्ट्रिया तथा फ्रांस से युद्ध करना पड़ा था।
बिस्मार्क को 1862 ईसवी में प्रशा का चांसलर नियुक्त किया गया था।
सन् 1864 ई. में शेल्जविग तथा होल्सटीन के प्रश्न पर जर्मनी का डेनमार्क से युद्ध हुआ था। डेनमार्क पराजित हो गया था। दोनों के बीच गैस्टीन की संधि 1865 ई़ में हुई ।
अपनी कूटनीति में बिस्मार्क ने ऑस्ट्रिया को यूरोप की राजनीति में अकेला कर दिया। दोनों में सन् 1866ई़ मे युद्ध हुआ, जिसमें ऑस्ट्रिया की पराजय हुई और प्राग की संधि के अनुसार जर्मनी का राज्य भंग कर दिया गया था।
एकीकरण के अंतिम चरण में प्रशा एवं फ्रांस के बीच सन्1870ईसवी मे युद्ध हुआ, जिसमे फ्रांस की पराजय हुई। दोनों में फ्रैंकफर्ट की संधि हुई।
प्रशा का राजा विलियन प्रथम जर्मन सम्राट बना, उसे कैसर की उपाधि से विभूषित किया गया । विलियम प्रथम का राज्यभिषेक एक प्रसिद्ध बर्साय के महल में संपन्न हुआ। विलियम प्रथम ने बिस्मार्क को बाजीगर कहा था।
बिस्मार्क ने लौह एवं रक्त की नीति का अनुसरण करते हुए जर्मनी का एकीकरण कर दिया था।