Saturday, January 19, 2019

भारत में पाई जाने वाली मिट्टी के प्रकार Types of soil found in India

भारत में मिट्टी को आठ प्रकारों में निम्नानुसार बांटा गया है
  (१)काँप की जमीन-   इस प्रकार की जमीन भारत में कुल क्षेत्रफल के 43% भाग में फैली है। यह जमीन का निर्माण नदियों द्वारा निक्षेपित काँप से हुआ है।
यह जमीन भारत में ब्रह्मपुत्र घाटी से लेकर पश्चिम में सतलुज तक तथा समुद्री तटों पर नदियों के मुख्य त्रिकोण प्रदेशों में फैली है यह मिट्टी गेहूं ,चावल, गन्ना ,शन ,कपास ,मकई ,आदि भजनों के लिए उपयोगी है।
लाल जमीन- लाल जमीन भारत के कुल जमीन क्षेत्र के 19% भारत में फैली है। दक्षिण के द्वीपकल्प से लेकर उत्तर में बुंदेलखंड तक और पूर्व में राजमहल की पहाड़ियों से पश्चिम में कच्छ तक फैली है ।इस मिट्टी में फेरिक एसिड की उपस्थिति के कारण इसका रंग लाल होता है। इस मिट्टी में चूना ,मैग्नीशियम ,फास्फोरस, नाइट्रोजन और पोटाश की कमी पाई जाती है इस जमीन में बाजरी ,कपास, गेहूं ,ज्वार, अलसी, मूंगफली ,आलू की फसल ली जाती है।
काली जमीन - यह जमीन भारत के कुल क्षेत्रफल के 15% भाग में फैली है इस जमीन का उद् भव दक्खन के लावा के जमाव से हुआ है।
समग्र महाराष्ट्र ,पश्चिम बंगाल ,मध्य प्रदेश ,आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कुछ भागों में पाई जाती है ।इस मिट्टी में लोह तत्व चुना कैल्शियम पोटाश एलमुनियम मैग्निशियम कार्बोनेट की मात्रा पाई जाती है ।
इस मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता अधिक होने से कपास की फसल अच्छी होती है इसलिए इसे कपास की जमीन भी कहा कहा जाता है।
लेटराइट मिट्टी- लोह ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने के कारण इसका रंग लाल होता है।
यह भारत के द्वीपकल्पीय पठारी प्रदेशों में अधिक पाई जाती है इस मिट्टी में लौहतत्व, पोटाश ,एलमुनियम की मात्रा अधिक होती है। इस मिट्टी में कपास, धान, गन्ना, चाय, काफी, काजू आदि की फसलें ली जाती है।
रेगिस्तान मिट्टी-  यह मिट्टी शुष्क और अर्द्ध शुष्क की जलवायु वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। अधिक क्षार तत्वों के कारण यह कम उपजाऊ होती है।
यह मिट्टी राजस्थान ,पंजाब, गुजरात ,हरियाणा आदि में पाई जाती है ।यह मिट्टी में बाजरा और ज्वार का उत्पादन होता है।
पर्वतीय मिट्टी-  यह मिट्टी हिमालय की घाटी और ढलानो के क्षेत्रों में 2700 मीटर से 3000 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। स्तर पतला होता है और अपरिपक्व होती हैं।
असम ,उत्तरांचल ,हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में यह मिट्टी पाई जाती है हिमालय के समान्य ऊंचाई वाले प्रदेशों में देवदार, चीड़ और पाईन के वृक्ष पाए जाते हैं।
जंगल प्रकार की मिट्टी- इस प्रकार की जमीन हिमालय के शंकुद्रुम जंगलों में 3000 मीटर से3100 मीटर की ऊंचाई के बीच सह्याद्री , पूर्वी घाट और मध्य हिमालय की तराई क्षेत्रों में पाई जाती है । वृक्षों के गिरे हुए पत्तों के सड़ने से यह मिट्टी ऊपर से काली होती है। इस मिट्टी में चाय, कॉफी ,तेजा के उपरांत गेहूं ,मकई, जौं, धान आदि की फसले ली जाती है।
(८)दलदलीय जमीन- इस प्रकार की जमीन नमी वाले क्षेत्रों में जैविक पदार्थ के के संचयन से विकसित होती है।
इस मिट्टी में जैविक पदार्थों और क्षार की बहुलता तथा फास्फोरस और पोटाश की कमी होती है ।
ऐसी जमीन उड़ीसा, पश्चिम बंगाल ,तमिलनाडु के किनारे तथा उत्तर बिहार के मध्य भाग और उत्तरांचल में पाई जाती है।

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