वर्तमान समय में पाकिस्तान के रावलपिंडी़ के पश्चिम में प्राचीन तक्षशिला विद्यापीठ था ।
यह प्राचीन गांधार की राजधानी था ।
इस विद्यापीठ में 64 विद्याओं का शिक्षण दिया जाता था ।
यहां अधिकांश विद्यार्थी गुरु के आश्रम में रहकर विद्या अभ्यास करते थे।
भगवान बुद्ध की शिष्य जीवक ने यहाँ आयुर्वेद के पाठ सीखे थे।
अर्थशास्त्र के रचयिता कौटिल्य ने यहां अध्ययन किया था।
दंत कथा के अनुसार रघुकुल के जन्मे राम के भाई भरत के पुत्र तक्ष के नाम से इसका नाम तक्षशिला पिछला पड़ा ।
सातवीं सदी के महत्वपूर्ण विद्या केंद्र के रूप में प्रसिद्ध था। यहां विद्यार्थी को जिस विषय में रुचि हो उसका अभ्यास करवाया जाता था ।
शिक्षक चाहे उतने विद्यार्थियों को पढ़ा सकता था।
सामान्य रूप से एक शिक्षक के पास 20 विद्यार्थी होते थे।
वाराणसी, राजगृह, मिथिला और उज्जैन जैसे दूर के स्थानों से विद्यार्थी यहाँ अध्ययन के लिए आते थे।
वाराणसी के कुमार यहाँ शिक्षा प्राप्त करते थे, कौशल के राज प्रसेनजित, व्याकरणशास्त्री पाणिनी और राजनीतिक कौटिल्य भी यहाँ अध्ययन करने आए थे ।
तक्षशिला का उच्च शिक्षण केंद्र था। सामान्य स्थिति में विद्यार्थी गुरु के घर में रहकर अध्ययन करते थे ।
यहां वेद, शस्त्रक्रिया, गजविद्या, धनुर्विद्या, व्याकरण, तत्वज्ञान, युद्ध विद्या, खगोल, ज्योतिष अादि का शिक्षण दिया जाता था। चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य और खुद चंद्रगुप्त मौर्य यहाँ शिक्षण लिया था ।
पाँचवी सदी के शुरुआत में चीन के फाहयान ने इस स्थान की यात्रा की थी।
Tuesday, January 15, 2019
तक्षशिला विद्यापीठ
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