सातवीं सदी में वाराणसी भारत का प्रसिद्ध शिक्षा का केंद्र था ।उपनिषद काल में आर्य संस्कृति और धर्म का केंद्र के रूप में विकसित हुआ था। काशी के राजा अज्ञातशत्रु उपनिषदकाल में एक तत्वज्ञानी और विद्या के पोषक थे।
व्यास संहिता में महर्षि वेदव्यास का आश्रय यहां लिया था।
भगवान बुद्ध ने अपने प्रचार प्रसार के लिए वाराणसी पर पसंदगी की थी।
आदि शंकराचार्य जैसे समर्थ तत्वज्ञानी ने अपने नूतन सिद्धांत की स्वीकृति के लिए काशी जाना पड़ता था।
चेतन्य महाप्रभु और पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक वल्लभाचार्य भी अपने वैष्णव संप्रदायों की प्रतिष्ठा यहां से प्राप्त की थी।
उन्य राजाओं के राजकुमार भी यहां उच्च शिक्षण के लिए आते थे ।
सम्राट अशोक के आश्रय से वाराणसी का सारनाथ मठ प्रसिद्ध विद्याधाम बना।
Wednesday, January 16, 2019
वाराणसी विद्यापीठ( काशी विद्यापीठ)
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