Thursday, January 24, 2019

स्कंदगुप्त का राज्यभिषेक The scion of Skand Gupta

स्कंदगुप्त सम्राट कुमारगुप्त महेंद्रादित्य का पुत्र था। अपने पिता के शासनकाल में ही इतनी प्रबल पुष्यमित्रों को पराजित करके अपनी अद्भुत प्रतिभा और वीरता का परिचय दे दिया था।
यह कुमारगुप्त की दूसरी पत्नी का पुत्र था। पुष्य मित्रों का विद्रोह इतना प्रबल था कि गुप्त काल के शासन में गुप्त काल के ही पाय हिल गए थे। किंतु इसमे अपने घैर्य और अप्रतिम वीरता से शत्रु का संहार कर के फिर से शांति स्थापित की। कुमारगुप्त का जेष्ठ पुत्र पूरूगुप्त था। तथा शौर्यगुण के कारण राज्यलक्ष्मी ने स्वयं इस वरण नहीं किया था
इनके राज्य काल में हूणो ने कंबाज जनपद को विजित कर गंधार में प्रवेश किया।हूण बड़े ही भीषड़ योद्धा थे, जिन्होंने पश्चिम में रोमन सम्राट को तहस-नहस कर डाला। हूणराज एरिला का नाम सुनकर यूरोपीय लोग काँप उठते थे। कंबोज, कंधार आदि जनपद गुप्तसाम्राज्य के अंग थे। शिलालेखों में कहा जाता है कि गंधार में स्कंद गुप्त के साथ इतना भयंकर संग्राम हुआ कि संपूर्ण पृथ्वी काँप  उठी ।इस महासंग्राम में विजयश्री ने स्कंद गुप्त का वरण किया। इसका शुभ यश कन्याकुमारी तक छा गया। बौद्ध ग्रंथ "चंद्रगर्भपरिपृच्छा"में वर्णित है। कि हूणों की संख्या 3 लाख थी और गुप्त जनसंख्या 2 लाख थी । किंतु विजयी हुआ गुप्त सैन्य। इस महान विजय के कारण गुप्तवंश में स्कंदगुप्त 'एक वीर' की उपाधि से भी विभूषित हुआ उसने अपने बाहुबल से और हुण सेना को गांधार के पीछे ढकेल दिया। स्कंद गुप्त के समय में गुप्त सम्राट के समय में कुछ स्वर्ण मुद्राएं  मिली स्वर्णो की मात्रा पहले से सिक्कों की अपेक्षा कम है इससे प्रतीत होता है कि युद्ध के प्रभाव राजकोष पर गंभीर प्रभाव पड़ा था। प्रजाजनों की सुख पर पूरा पूरा ध्यान दिया सौराष्ट्र की सुदर्शन झील की दशा के शासन काल में आरंभ खराब हो गई थी और उसे निकली नहरों में पानी नही रहा था। इसके लिये तत्कालीन झील का निर्माण कराया गया बांध को बांधे जाने से  परिजनों का अपार सुख मिला । विष्णु मंदिर का निर्माण कराया था उसने राजकीय अशांत को दूर किया और उनको गौरक्षा करते हुए समाज में शांति स्थापित की।  स्कंद गुप्त की कोई संतान नहीं थी  इनकी मृत्यु के पश्चात पुरूगुप्त सम्राट बना।

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