देव कथाओं के अनुसार विक्रमादित्य भारत की प्राचीन नगरी उज्जयिनी के राजा थे, जो अपने ज्ञान, वीरता और उदारशीलता के लिए प्रसिद्ध थे। जिनके दरबार में नवरत्न रहते थे ।इसमें कालिदास भी थे। कहा जाता है कि विक्रमादित्य बड़े पराक्रमी थे और उन्होंने शकों को परास्त किया था। ईसा पूर्व 58-57 में प्रारंभ विक्रम सम्वत राजा विक्रमादित्य का चलाया हुआ माना जाता है। परंतु इतिहास में ईशा पूर्व प्रथम शताब्दी के उत्तरार्ध में पश्चिमी भारत में शासन करने वाले ऐसे किसी पराक्रमी राजा का उल्लेख नहीं प्राप्त होता है। जिससे विक्रमादित्य की उपाधि धारण की हो । राजा विक्रमादित्य नाम विक्रम यानि 'शोर्य' और आदित्य की आदिति के पुत्र के अर्थ सहित संस्कृत का तत्पुरुष है। आदिति अथवा आदित्या के सबसे प्रसिद्ध पुत्रो में से एक हैं। विक्रमादित्य का अर्थ है सूर्य यानी सूर्य के बराबर वीरता वाला, विक्रम वाला कहा जाता है।
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