रूसी क्रांति 1917 ईसवी में हुई।
रूस के शासक जार कहा जाता था। क्रांति के समय निकोलस द्वितीय रूस का जार था। उसकी पत्नी जरीना प्रथभ्रष्ट पादरी रास्पुटिन के प्रभाव में थी।
रूस क्रांति का तात्कालिक कारण प्रथम प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय थी।
जार अलेक्सेंडर द्वितीय ने 1862 ईसवी में दास प्रथा का अंत कर दिया था। इसलिए उसे जार मुक्तिदाता कहा गया ।
जनवरी 1905 मे एक दिन जार के पास जा रहे भूखे मजदूरों के समूह पर सेना ने गोलियां बरसाईं। तब से इसे खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।
वह 7 फरवरी 1917 को रूस में क्रांति का प्रथम विस्फोट हुआ। विद्रोहियों ने रोटी-रोटी का नारा लगाते हुए सड़कों पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
जार की सेना ने विद्रोहियों पर गोली चलाने से मना कर दिया।
15 मार्च 1917 को जार निकोलस द्वितीय ने गद्दी त्यागी दी। इसी प्रकार से रूप से निरंकुश राजशाही का अंत हो गया।
रूप में साम्यवाद की स्थापना 1898 ईस्वी में हुई थी। कालांतर में वैचारिक मतभेद के आधार पर दो भागो बोल्शेविक तथा मेनशेविक में बट गया था।
बहुमत वाला दल बोल्शेविक कहलाया। इसके लिए नेताओं में लेनिन सर्व प्रमुख था।
अल्पमत वाला दल मेनशेविक कहलाया। इसका प्रमुख नेता करे करेंसकी था।
जार के गद्दी त्यागने के बाद सत्ता मेंनशेविकों के हाथ में आई गई थी करेंसकी प्रधानमंत्री बना। परंतु सरकार जन समस्याओं को सुलझाने में असफल रही। इसका विरोध करने पर लेनिन को निर्वासित कर दिया गया।
अतः बोलशेविक के बल प्रयोग द्वारा सत्ता पलटने की तैयारी शुरू कर दी। 7 नवंबर 1917 को सभी महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया गया।करेंसकी देश छोड़कर भाग गया।
बोलशेवकों ने एक नई सरकार का गठन किया। जिसका अध्यक्ष लेनिन बना तथा ट्राटस्की को विदेश मंत्री बनाया गया।
साम्यवादी शासन का पहला प्रोग्राम रूस मे ही हुआ था।
विश्व में इतिहास में पहली बार मजदूर वर्गों के हाथ में शासन सूत्र आया।
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