मिस्र की सभ्यता का प्रारंभ 3400 ईसवी पूर्व में हुआ था।
मिस्र को नील नदी की देन कहा गया है मिस्र के बीच से नील नदी बहती है, जो मिस्र की भूमि को उपजाऊ बनाती है।
यह सभ्यता प्राचीन विश्व की अति विकसित सभ्यता थी इस सभ्यता ने विश्व की अनेक सभ्यताओं को पर्याप्त रूप से प्रभावित किया है।
सामाजिक जीवन में सदाचार का महत्व इसी सभ्यता से प्रसारित हुआ है
सामाजिक जीवन की सफलता के लिए मिश्र निवासियों ने नैतिक नियमों को निर्धारण किया।
मिस्र के राजा को फराओ कहा जाता था उसे ईश्वर का प्रतिनिधि तथा सूर्य देवता का पुत्र माना जाता था।
मरणोपरांत राजा के शरीर को पिरामिड मे सुरक्षित कर दिया था।
पिरामिडो को बनाने का श्रेय फराओ जोसर के वजीर अमहोटेप को है ।
मिस्र वासियों को मृत्यु के बाद जीवन में विश्वास था।
मृतकों के शव को सुरक्षित रखने के लिए शवों पर रासायनिक द्रव्यो का लेप लगाया जाता था। ऐसे मृतक के शरीर को ममी कहा जाता था।
शिक्षा के क्षेत्र में सर्वप्रथम व्यवस्थित विद्यालयों का प्रयोग यही हुआ था।
विज्ञान के क्षेत्र में मिस्र वासी विश्व में अग्रणी समझे जाते जाते हैं। रेखा गणित में जितना ज्ञान उन्हें था उतना विश्व के अन्य लोगों को नहीं था।
कैलेंडर सर्वप्रथम यहीं पर तैयार हुआ। सूर्य घड़ी एवं जल घड़ी का प्रयोग यहीं हुआ।
मानव इतिहास का पहला सिद्धांतवादी अमहोटेप चतुर्थी था उसे आखनाटन के नाम से भी जाना जाता है।
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