सिंधु घाटी सभ्यता दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में स्थित एक कांस्य युगीन सभ्यता थी। प्राचीन मिस्र एवं मेसोपोटामिया को सम्मिलित करते हुए यह विश्व की तीन प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक थी दयाराम साहनी के निर्देशन में 1921 में हड़प्पा नामक स्थल पर पहली बार उत्खन्न कार्य किया गया था, अतः इसे हडप्पा सभ्यता भी कहा जाता है।
इस सभ्यता का विस्तार पश्चिम दिशा में बलूचिस्तान के सुत्कागेन्डोर,पुर्व में आलमगीरपुर(उत्तरपृदेश), दक्षिण में दायमाबाद(महाराष्ट) एवं उत्तर में मंदा (जम्बूकश्मीर) फैला हुआ है।
नगर नियोजन हड़प्पा सभ्यता की एक प्रमुख विशेषता थी। अत: यह सभ्यता प्रथम शहरीकृत सभ्यता भी कहलाती है।
कस्बे दो भागों में विभक्त थे यथा दुर्ग एवं निचला कस्बा दुर्ग में शासन प्रबंध करने वाले सदस्य रहते थे जबकि कस्बे का निचला भाग जन साधारण के लिए था
धोलावीरा इसका एकमात्र अपवाद है क्योंकि यह तीन भागों में विभक्त था
कस्बे की मुख्य विशेषता उनकी जल निकासी व्यवस्था थी। नालियां पक्की हुई ईटो की बनी हुई थी एवं पत्थरों से ढकी हुई थी सफाई के लिए मेनहोल्स थे। इससे ज्ञात होता है कि हड़प्पा के लोग सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखते थे
इस सभ्यता के लोग नापतोल की कार्यों से परिचित थे क्योंकि यहां से कुछ लकड़ी के टुकड़े प्राप्त हुए जिन पर माप - तोल की इकाइयां अंकित थी।
मृत्यु के बाद शव को दफनाया जाता था।
बनवाली एवं कालीबंगा दो चरणों को दर्शाती है। पूर्व हड़प्पा सभ्यता एवं हड़प्पा सभ्यता।
बिना दुर्ग के एकमात्र शहर चन्हुदडाो था।
Nice
ReplyDelete