युग प्रवर्तक साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई सन १८८० ई. मैं बनारस के निकट लमही ग्राम में हुआ था।
बचपन का नाम धनपत राय था। 5 वर्ष की आयु में माता का और 14 वर्ष की आयु में पिता का निघन हो गया था
प्रेमचंद हिंदी कथा-साहित्य के शिखर पुरुष माने जाते हैं। कथा-साहित्य की इस शिखर पुरुष का बचपन अभावों में बीता । स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद पारिवारिक समस्याओं के कारण जैसे तैसे करके बी ०ए० तक की पढ़ाई की। अंग्रेजी में एम ०ए० करना चाहते थे लेकिन जीवन यापन के लिए नौकरी करनी पड़ी। सरकारी नौकरियों में गांधी जी असहयोग आंदोलन मे सक्रिय होने से छोड़ दी। राष्ट्रीय आंदोलन में जुड़ने पर साहित्य लेखन वे करते रहे। पत्नी शिवरानी देवी के साथ अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लेते रहे।
उनके जीवन का राजनीतिक संघर्ष उनकी रचनाओं में सामाजिक संघर्ष बनकर सामने आया जिसमें जीवन का आदर्श था । हिंदी साहित्य के इतिहास में कहानी और उपन्यास की विद्या के विकास का काल -विभाजन प्रेमचंद्र को ध्यान मे रखकर किया जाता रहा है जैसे प्रेमचंद -पूर्व युग प्रेमचंद युग, प्रेमचंदोतर युग, प्रेमचंद जी के महत्व को स्पष्ट करता है।
प्रेमचंद्र जी एेसे पहले रचनाकार हैं कि कहानी और उपन्यास की विद्या को कल्पना और अमानियत से निकालकर यथार्थ की ठोस जमीन पर स्थापित किया। मनोरंजन से कथा-साहित्य को समाजिक सरोकारो से जोड़ा ।
प्रेमचंद जी ने अपने साहित्य में समाज की समस्याएं उनके संघर्ष को प्रस्तुत किया । जिसमें प्रेमचंद जी भाषा हिंदुस्तानी हिंदी उर्दू मिश्रित का विशेष योगदान रहा प्रेमचंद जी के यहां हिंदुस्तानी भाषा अपनी पूरी ठाट बाट और जाति सुरूप के साथ आई प्रेमचंद जी का निधन 8 अक्टूबर 1936 में हुआ
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